What is piston in Engine and its parts 

What is piston in Engine and its parts 

 पिस्टन (Piston)

इसलिए पिस्टन काफी मजबूत बनाये जाते हैं ताकि पावर स्ट्रोक में पड़ने वाली थ्रस्ट को सहन कर सकें। साथ में यह हलके भी होने चाहिए क्योंकि हम जानते हैं कि जब पिस्टन टाप डैड सेन्टर और बाटम डेड सेन्टर पर पहुँचता है तो इसे बिलकुल रूक कर दूसरी डायरैक्शन में चलना होता है तो उसे काफी शक्ति खर्च करनी पड़ती है कि पिस्टन के अन्दर आई हुई इनर्शिया को रोक कर फिर चलें। हम जानते हैं कि इनर्शिया पिस्टन के बोझ पर निर्भर है। इसलिए पिस्टन का बोझ कम से कम रखा जाता है लेकिन इसको मजबूत बनाने के लिए इसके अन्दर रिब्ज बनी रहती हैं जोकि न केवल इसको मजबूत बनाती हैं बल्कि हैड से आई हुई गर्मी को पिस्टन रिंग्स द्वारा सिलिंडर वॉल तक पहुँचाती हैं। पहले जमाने पिस्टन ढलाई करके बनाये जाते थे लेकिन आजकल प्रैशर डाई कास्टिंग द्वारा। पहले जमाने में और अब भी कुछ इंजनों में पिस्टन कॉस्ट ऑयरन के बने हते हैं लेकिन आमतौर पर यह एल्युमीनियम एलॉय के बनाये जाते हैं।

  1. पिस्टन के कार्य (Function of Piston ) –

पिस्टन इंजन के अन्दर कई काम करता है जैसे

 

(1) यह पावरस्ट्रोक में पैदा हुई शक्ति को कनैक्टिंग रॉड द्वारा क्रैंकशॉफ्ट तक पहुँचाता है।

(2) जब पिस्टन सक्शन स्ट्रोक में टाप डैड सैन्टर से बाटम डैड सैन्टर की ओर जाता है तब सिलिंडर के अन्दर सक्शन पैदा करता है जिससे फ्रेश चार्ज सिलिंडर के अन्दर प्रवेश कर जाता है।

(3) कनेक्टिंग रोड के ऊपर वाले भाग के लिए गाईड का काम करता है।

(4) पिस्टन के अन्दर रिंग लगे होते हैं जो कि  कंबशन चेम्बर को सील करते हैं ताकि प्रेशर के साथ जलती हुई गैस ऑयल सम्प में सकें।

पावर-स्ट्रोक के अन्दर कंप्रेशन प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और साथ ही तापमान भी इसलिए पिस्टन अच्छे धातु के बने होते हैं ताकि प्रेशर और तापमान को सहन कर सकें।

पिस्टन ठीक आकार के बनाये जाते हैं और मशीन किये जाते हैं ताकि सिलिंडर में आसानी से ऊपर-नीचे जा सकें साथ ही डीले भी न हों, इंजन चाहे गर्म हो या ठंडा।

 

सभी पिस्टनों को बैलेंस किया जाता है और बराबर वजन दिया जाता है ताकि तीव्र गति में इनर्शिया (Inertia) और मोमेनटम (Momentum) को नियन्त्रण में रखा जा सके।

इसलिए पिस्टन बदलते समय इस बात का ध्यान रखा जाये कि पिस्टन एक ही निर्माता के होने चाहिए व सभी पिस्टनों का वजन बराबर होना चाहिए।

पिस्टन के भाग (Parts of Piston)

पिस्टन के भाग

 

(i) हेड (Head)                                           (ii) स्कर्ट (Skirt)

(iii) रिंग ग्रूव ( Ring Groove)                    (iv) रिंग सेन्ड ( Ring Land)

(v) गजन पिन बॉस (Gudgeon Pin Boss )

 

  1. हैड (Head)यह पिस्टन के ऊपर वाला भाग है। यहाँ पर कम्बस्चन गैसें दबाव डालती हैं। यह लगभग चार प्रकार के होते हैं।

Types of Piston Head 

(i) कॉनकेव हेड (Concave Head)                                                  (ii) इररेगूलर हेड (Irregular Head)

 (iii) फ्लैट हेड (Flat Head)                                                            (iv) डोम टाइप हेड (Dome Type Head)

 

पिस्टन हैड के डिज़ाइन इस तरह से बनाये जाते हैं ताकि चार्ज को स्वरलिंग एक्शन मिल सके।

Types of Piston Head

 

कई डीज़ल इंजनों के पिस्टनों के हैड के अन्दर कंबशन चैम्बर- सा बना होता है। फ्लैट हेड पिस्टन साधारण होने के कारण आमतौर पर सभी इंजनों में प्रयोग किये जाते हैं लेकिन आजकल हाई कम्प्रेशन इंजन बनाये जा रहे हैं जिनमें कम्प्रेशन रेशो बढ़ी रहने के कारण क्लीयरेंस स्पेस और कम करने की आवश्यकता पड़ती है। साथ में यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि वॉल्व खुले रहने कि स्थिति में पिस्टन क्राउन से न टकराये। खुले हुए वॉल्वों को जगह देने के लिए पिस्टन हैड के अन्दर रिसेस अर्थात् खांचे बने रहते हैं या फिर उनके हैड में गोलाई सी कटी रहती है। यह गोलाई रिसैसिस इस तरह से डिजाइन की जाती है कम्प्रेशन स्ट्रोक में यह चार्ज को स्वरलिंग एक्शन अर्थात् विशेष प्रकार से घुमायें जिससे वह ठीक तरह से जल पाये।

 

 

  1. स्कर्ट (Skirt) यह पिस्टन बॉस के नीचे वाला भाग होता है और पिस्टन लाईनर के अन्दर सीधा ही रहता है। जब किसी धातु को गर्म करें तो वह फैलती है पावर स्ट्रोक में पिस्टन का तापमान भी काफी बढ़ जाता है जिसकी वजह से स्कर्ट थोड़ीसी फूल जाती है। अगर यह फैल जाये तो इसके सीज़ होने का डर रहता है। इसे सीज़ होने से रोकने के लिए और स्कर्ट को फैलने के लिए या जगह देने के लिए दो तरीके है

(i) कैम ग्राऊंड पिस्टन (Cam Ground Piston)

(ii) स्लॉट पिस्टन (Slot Piston )

 

  1. रिंग यूव (Ring Groove )रिंग ग्रूव पिस्टन के ऊपर वाले भाग में काटे जाते हैं जिनके अन्दर रिंग फिट होते हैं। ऑयल रिंग के ग्रूव अन्दर छोटेछोटे सुराख किये जाते हैं ताकि ऑयल रिंग ने जो तेल स्क्रैप किया है वह तेल इन छेदों में से सम्प में वापिस जा सके। कई बार एक की बजाय दो ऑयल ग्रूव भी पिस्टन में कटे रहते हैं। दूसरा रिंग ग्रूव गजन पिन के नीचे स्कल्ट पर बनाया जाता है।
  2. रिंग लैण्ड (Ring Land)रिंग ग्रूव काटने के बाद पिस्टन के व्यास में जो जगह रह जाती है, उसे रिंग लैण्ड कहते हैं।

कई पिस्टनों के अन्दर एक ग्रूव टाप ग्रूव और पिस्टन क्राऊन के मध्य में दिया जाता है जिसे हीट डैम कहते हैं। यह ग्रूव इसलिए दिया जाता है कि पिस्टन क्राउन की गर्मी पिस्टन स्कर्ट तक पहुँचे, नहीं तो वह फूल जायेगी इस तरह के ग्रूव देने से पिस्टन स्कर्ट ठण्डी रह पाती है। यह ग्रूव पिस्टन रिंग ग्रूव की तरह ही होता है लेकिन इसमें पिस्टन रिंग फिट नहीं किया जाता है।

  1. गजन पिन बॉस (Gudgeon Pin Boss )जिस जगह गजन पिन आकर पिस्टन में फिट होती है उस जगह को गजन पिन बॉस कहते हैं। पिस्टन में गजन पिन पिस्टन के मध्य में ही फिट की हुई रहती है। लेकिन कई इंजनों में पिस्टन पिन को सेन्टर लाईन से थ्रस्ट साइड की तरफ फिट किया होता है। आप जानते हैं कि पिस्टन गजन पिन अगर मध्य लाईन में फिट हो तो कम्प्रेशन स्ट्रोक के अन्दर पिस्टन की बायीं साइड सिलिंडर वॉल के साथ लग कर चलती है और पावर– –स्ट्रोक में अन्दर यह मेजर थ्रस्ट साईड को अर्थात् दांयीं साईड को इस तरह एक स्ट्रोक के अन्दर पिस्टन दांयीं तरफ और फिर बायीं तरफ रगड़ कर चलता है। जब पिस्टन दायीं से बायीं ओर या बायीं ओर से दायीं ओर बदलता है तो उस समय पिस्टन लाईनर पर लगने से एक विशेष प्रकार की आवाज़ आती है जिसे पिस्टन स्लैप कहते हैं। गजन पिन को आफसेन्टर करने से यह आवाज काफी हद तक कम हो जाती है।

The main components of IC engine

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top