स्नेहक क्या है ?
Types of lubrication systems : मशीन के चलने से इनके पार्ट्स आपस में रगड़ खाते हैं जिसके परिणाम स्वरूप इसके चर्षण से गर्मी उत्पन्न होती है जिसके कारण पार्टस कुछ फैल जाते हैं तथा जल्दी घिस जाते हैं, मशीन भारी चलने लगती है और आवाज़ भी आने लगती है। जिससे पार्ट्स जल्दी खराब हो जाते हैं। इन कमियों को दूर करने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के चिकने माध्यम (ल्युब्रिकेंट और कूलेंट) प्रयोग में लाए जाते हैं। क्योंकि इन माध्यमों की पतली सी परत (Oil Film) मशीन के दोनों चलने वाले पार्ट के बीच यह ऑयल फिल्म बना देता है। जिससे दोनों संपर्क में आने वाली सतह आपस में रगड़ नहीं खाती।
अतः जो माध्यम इस कार्य के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं, उन्हें स्नेहक (Lubricants) कहते हैं। स्नेहक (Lubricant) प्रयोग करने की विधि को स्नेहन (Lubrication) कहते हैं।
स्नेहक का वर्गीकरण (Classification of Lubricants)
स्नेहक की विधियाँ :
निम्नलिखित विधियों द्वारा तेल (स्नेहक) मशीनों में दिया जाता है।
- गुरुत्व फीड विधि (Gravity Feed System) –
इस विधि में तेल स्वतः ही पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति द्वारा मशीन के पुर्जो तक पहुँचता है। इसमें तेल को काँच की एक बोतल में भरकर ऊँचे स्थान पर रखा जाता है और बूंद–बूंद करके तेल स्वयं ही मशीन पार्ट्स तक पहुँचता है।
2. बल फीड विधि (Force Feed System) –

इसमे मशीन पार्ट्स पर लगातार तेल पहुँचाने की यह एक उत्तम विधि है। इस विधि के अंतर्गत मशीन पार्ट तक लुब्रीकेंट पहुँचाने के लिए बल का प्रयोग किया जाता है जैसे-ऑयल केन, ऑयल गन, ग्रीस गन, ग्रीस कप, ऑयल पंप (Oil Pump) आदि।
3. छिड़कन विधि (Splash Feed System) –
इस विधि में शॉफ्ट पर लगी बियरिंग के पास एक रिंग डाल दी जाती है। इस रिंग के नीचे तेल से भरा बर्तन रहता है। अतः जब शॉफ्ट घूमती है तो अपने साथ रिंग को घुमाती है और रिंग अपने साथ तेल उछाल कर बियरिंग में पहुँचाता रहता है। यह ल्युब्रिकेशन की एक विश्वसनीय विधि है। क्योंकि तेल के बाहर गिरने का भय नहीं रहता ।
स्नेहक को प्रयोग करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
(i) ऑयल व ग्रीस प्वाइंट का ज्ञान होना चाहिए।
(ii ) सही ल्युब्रिकेंट चुनिए।
(iii) सही ल्युब्रिकेटिंग यंत्र चुनिए।
(iv) ल्युब्रिकेंट करिए।
ध्यान रहे हर मशीन के साथ ल्युब्रिकेटिंग चार्ट आता है जिसमें बताया होता है कि कहाँ किस अवधि में किस प्रकार का ल्युब्रिकेंट प्रयोग करना चाहिए। तथा हर ल्युब्रिकेंट पर साफ व्यक्त करना चाहिए कि वह किस प्रकार का स्नेहक है।
हर स्नेहक ड्रम का मुँह ऊपर की ओर होना चाहिए। यदि स्नेहक कार्यशाला के फर्श पर गिर जाए तो फर्श को साफ कर देना चाहिए।