Semi-conductor अर्द्ध-चालक किसे कहते हैं?

Semi-conductor अर्द्ध-चालक किसे कहते हैं? बिजली के कार्यों के लिए प्रयोग किए जाने वाले अर्द्ध-चालक।

अर्द्ध -चालक (Semi-conductor)- अर्द्ध-चालक वे पदार्थ हैं, जिनकी रजिस्टेंस चालकों व इंसुलेटरों के मध्य होती है। यह अक्सर धातुओं के मिश्रण से तैयार किए जाते हैं। कई मिश्रित धातुओं तथा कार्बन की रजिस्टेंस बहुत अधिक परन्तु एक सीमा तक होती है।

N प्रकार और P प्रकार के  सेमीकंडक्टर होते है जिनके बीच निम्नलिखित अंतर है?

N प्रकार का सेमीकंडक्टर प्रधानत: नकारात्मक आधारित विद्युत धारा को इलेक्ट्रॉन्स के रूप में लेकर चलता है, जो तार की विद्युत धारा के समान होती है। P प्रकार का सेमीकंडक्टर प्रधानत: इलेक्ट्रॉन की कमी के रूप में विद्युत धारा लेता है जिसे होल कहा जाता है। होल का एक सकारात्मक विद्युत आवेश होता है, जो इलेक्ट्रॉन पर एक सकारात्मक विद्युत आवेश के बराबर और विपरीत होता है। सेमीकंडक्टर सामग्री में, होल का प्रवाह इलेक्ट्रॉन के प्रवाह के विपरीत दिशा में होता है।

Elemental semiconductors आर्सेनिक, बोरॉन, कार्बन, जर्मेनियम, सेलेनियम, सिलिकॉन, गंधक और टेलुरियम शामिल हैं। इनमें सिलिकॉन सबसे अधिक जाना जाता है, जो अधिकांश आईसी की आधार बनाता है।

सामान्य सेमीकंडक्टर यौगिकों में गैलियम आर्सेनाइड, इंडियम एंटिमोनाइड और अधिकांश धातुओं के ऑक्साइड शामिल हैं। हम कम शोर, उच्च लाभ, कम संकेत वाले डिवाइस में विशाल रूप से गैलियम आर्सेनाइड (GaAs) का उपयोग करते हैं।

बिजली के कार्यों के लिए उपयोगी अर्द्ध-चालक  नीचे दिये  गये  है

 

  • प्लेटीनोआइड (Platinoid) – यह 64% तांबे, 15% निकल, 20% जस्ता तथा 1% टंगस्टन धातुओं की मिश्रित धातु है। इसकी रोधकता बहुत होती है। महंगी होने के कारण प्रामाणिक रजिस्टैंसों व कीमती यंत्र बनाने में ही इसका प्रयोग किया जाता है।

 

  • मैंगानिन (Manganin) – यह 84% तांबे, 12% मैगनीज़ और 4% निकल की मिश्रित धातु है। इसकी रोधकता (Resistivity) भी बहुत होती है। इसे यूरेका तार के स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है। महंगी होने के कारण प्रामाणिक प्रतिरोधकों व महंगे यंत्रों में ही इसका प्रयोग होता है।

 

  • जर्मन सिल्वर (German Silver) – यह 60% तांबे, 30% निकल तथा 10% जस्ता की मिश्रित धातु है। इसका रंग चांदी जैसा होता है। यह काफी नरम तथा डक्टाइल धातु है। इससे बिजली के सम्पर्क, रजिस्टेंस तारें व उत्तम प्रकार के वाल्वज्र आदि बनाए जाते हैं।

 

  • यूरीका (Eureka or Constantan) – यह 60% तांबे व 40% निकल की मिश्रित धातु होती है। इसका प्रयोग कई प्रकार के प्रतिरोधक बाक्स, थर्मोकपल बनाने, स्टार्टरों के प्रतिरोध व रैगुलेटरों को बनाने में किया जाता है। बिजली के कार्यों में जहां प्रतिरोध की आवश्यकता पड़ती है वहां पर यूरेका तार का प्रयोग आमतौर पर किया जाता है। यह अन्य प्रतिरोधक तारों की तुलना में सस्ती भी पड़ती है।
  • नाइक्रोम (Nichrome) – यह 80% निकल तथा 20% क्रोमीयम की मिश्रित धातु है। इसकी रोधकता बहुत अधिक होती है तथा इसके पिघलने का अंक बहुत ऊँचा होता है। इसलिए इसे बिजली की भट्ठियों व हीटरों के एलीमैंटों, इलैक्ट्रिक प्रैसों, टोस्टरों तथा बिजली की केतलियों के हीटिंग एलीमैंट बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। बिजली के कार्यों में जहां गर्मी की आवश्यकता हो, वहां नाइक्रोम के एलीमैंट प्रयोग होते हैं।

 

  • कैथल (Kanthal) – यह क्रोमीयम, निकल तथा लोहे आदि की धातुओं के अलग अनुपात का मिश्रण है। यह अनुपात आवश्यकता अनुसार लिया जाता है। इसकी रोधकता तथा पिघलने का अंक काफी ऊंचा होता है। इसलिए इसका प्रयोग विशेष तौर पर विद्युतीय भट्टियों (Electric Furnaces) के एलीमैंट बनाने के लिए किया जाता है।

 

  • कार्बन (Carbon)- यह अधातु पदार्थ है। इसलिए यह नरम पर इसकी रोधकता अधिक होती है। इसका प्रतिरोध गर्मी से कम होता है।इलैक्ट्रानिक्स उद्योगों में कार्बन प्रतिरोधों का प्रयोग व्यापक स्तर पर होता है। ये रजिस्टैंस कम वॉट परन्तु बहुत ऊँचे मान की बनायी जाती हैं। इसका प्रयोग नरम होने के कारण कमुटेटरों पर ब्रुश के तौर पर भी किया जाता है।

 

उपरोक्त लिखे अर्द्ध-चालकों के अतिरिक्त जर्मेनियम (Germanium) तथा सिलिकान (Silicon) दो ऐसे पदार्थ हैं, जिनमें अशुद्धियां मिलाकर अर्द्ध- चालक बनाए जाते हैं। इनसे बने अर्द्ध-चालकों का प्रयोग इलैक्ट्रानिक्स क्षेत्रों में भरपूर मात्रा में हो रहा है। 

चालक किसे कहते हैं? एक अच्छे चालक में क्या मुख्य विशेषताएँ होनी चाहिएं? 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top