भारत के इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में तेजी से हो रही वृद्धि 

भारत के इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में तेजी से हो रही वृद्धि 

केंद्र सरकार की सराहनीय पहल की बदौलत आज भारत के इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री भी दोगुनी होने की संभावना नजर आ रही है।

इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicles) एक प्रगतिशील परिवहन तकनीक है जिसमें इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग किया जाता है बजाय इंटरनल कंबस्टन इंजन के। इस तकनीक के बाद कार्बन इमिशन कम होता है जो कि इंटरनल कंबस्टन इंजन वाहनों से उत्पन्न होता है, और इससे पर्यावरण को संरक्षित रखने में मदद मिलती है।

2030 तक 30% EV हासिल करने का रखा लक्ष्य:

इसी के चलते भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए नीतियों और प्रोत्साहनों को लागू किया है। इसके लिए सरकार ने वर्ष 2030 तक 30 फीसद का लक्ष्य रखा है।

गौरतलब हो, यह COP26 में पीएम मोदी द्वारा दिए गए “पंचामृत” मंत्र के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होंगे। साथ ही साथ भारतीय युवाओं को रोजगार के बड़े अवसर प्रदान करने में भी मददगार साबित हो रहे हैं।

वैश्विक मोटर वाहन परिदृश्य में “इलेक्ट्रिक वाहनों “का महत्वपूर्ण परिवर्तन

प्रौद्योगिकी के भविष्य के रूप में ‘इलेक्ट्रिक वाहनों’ को बढ़ावा देने के साथ वैश्विक मोटर वाहन परिदृश्य में बड़ा परिवर्तन हो रहा है। इलेक्ट्रिक वाहनों के पुर्जे में नवाचार और तकनीकी सफलताएं इसको उत्प्रेरित कर रही हैं। इसलिए भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और इसके इस्तेमाल में तेजी लाना आवश्यक समझा गया है और इसी दिशा में काम करने के लिए अब कई कंपनियां आगे आ रही हैं जो विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर इस दिशा में काम कर रही हैं।   

‘ERISHA ई-मोबिलिटी’

इसी क्रम में राणा समूह की सहायक कम्पनी ‘ERISHA ई-मोबिलिटी’ की बात करें तो इस कंपनी ने हाइड्रोजन ईंधन सेल प्रौद्योगिकी के लिए एक जर्मन कंपनी के साथ साझेदारी की है और इलेक्ट्रिक वाहन लॉन्च किए हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार के साथ किया एक MoU:

राणा ग्रुप के चेयरमैन डॉ. दर्शन राणा ई मोबिलिटी की यात्रा को आगे बढ़ाने के संबंध में बताते हैं कि उनकी कंपनी ने हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के साथ एक MoU साइन किया है जिसके तहत यूपी में एक ई-वी पार्क डेवलप किया जाएगा। वहां उनके ग्रुप के साथ-साथ अन्यों की भी फैक्ट्रियां लगेंगी।  कंपोनेंट के वेंडर्स और पार्टनर्स को भी वहीं पर जगह दी जाएगी।

इसके अलावा उन्होंने एक अन्य MoU साइन किए जाने के संबंध में भी जानकारी प्रदान की जिसके  तहत गौतमबुद्ध नगर में ई व्हीकल के 100 चार्जिंग हब स्टेशन बनाए जाएंगे। इनमें एक हब में कम से कम 2 से 10 चार्जिंग स्टेशन होंगे।  

इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न नीतियां की लागू:

यह पहले से ही ये एनालिसेस किया हुआ था कि अब भारत में हाइड्रोजन को लाना होगा क्योंकि फॉरेन कंट्रीज इसकी तरफ मूव कर चुकी थीं। दर्शन राणा बताते हैं कि पहले ही जो इंसेंटिव पॉलिसीज आई हैं, उससे पहले ही जर्मन और इटेलियन के साथ पार्टनरशिप चालू की थी।

 

ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर जर्मन पार्टनर से मिलाए हाथ

जर्मन के साथ भारत में जेवी कंपनी बना दी है जो ERISHA हाइड्रोजन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड स्थापित की। इसमें हाइड्रोजन की सारी टेक्नोलॉजी हैं। आपको हाइड्रोजन प्रोडक्शन से लेकर डिस्पेंसिंग तक बल्कि व्हीकल बनाने तक सारी टेक्नोलॉजी इस कंपनी में मिल जाएंगी। इस तकनीक के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं।

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2030 तक भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों से तेल आयात में होगी 20 लाख करोड़ रुपये की बचत:

इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति पर निर्भरता कम होती है और ऐसा करने से ऊर्जा सुरक्षितता और स्वतंत्रता में सुधार होता है। इन वाहनों का उपयोग बिजली के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है और ऊर्जा स्वच्छता के मानकों को पूरा करने में मदद करता है। हमें भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों का विनिर्माण केंद्र बनाने की भी जरूरत है। इलेक्ट्रिक वाहन प्रणाली में भारत के विकास से 2030 तक अकेले तेल आयात में 20 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।

इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य सुरजमुखी है, जो न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा होगा, बल्कि यातायात प्रणाली में भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा। अधिकांश देशों ने इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को प्राथमिकता दी है और नयी नीतियों और उद्यमों के माध्यम से इनके लिए आवश्यक बाधाओं को हटाने का प्रयास किया जा रहा है। यह विकास सामरिक, आर्थिक, और पर्यावरणीय दृष्टियों से समर्थनयोग्य है और साथ ही साथ सामरिक और इनोवेशन के क्षेत्र में नए अवसरों को भी प्रदान करेगा।

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