स्नेहक का वर्गीकरण (Classification of Lubricants)
मशीन के चलने से इनके पार्ट्स आपस में रगड़ खाते हैं जिसके परिणाम स्वरूप इसके चर्षण से गर्मी उत्पन्न होती है जिसके कारण पार्टस कुछ फैल जाते हैं तथा जल्दी घिस जाते हैं, मशीन भारी चलने लगती है और आवाज़ भी आने लगती है। जिससे पार्ट्स जल्दी खराब हो जाते हैं। इन कमियों को दूर करने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के चिकने माध्यम (ल्युब्रिकेंट और कूलेंट) प्रयोग में लाए जाते हैं। क्योंकि इन माध्यमों की पतली सी परत (Oil Film) मशीन के दोनों चलने वाले पार्ट के बीच यह ऑयल फिल्म बना देता है। जिससे दोनों संपर्क में आने वाली सतह आपस में रगड़ नहीं खाती।
अतः जो माध्यम इस कार्य के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं, उन्हें स्नेहक (Lubricants) कहते हैं। स्नेहक (Lubricant) प्रयोग करने की विधि को स्नेहन (Lubrication) कहते हैं।
स्नेहक क्या है ? (What is Lubricants)
स्नेहकों को सामान्यतः तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है-
1 . अर्द्ध ठोस स्नेहक (Semi-Solid Lubricants)
- तरल स्नेहक (Liquid Lubricants)
- ठोस स्नेहक (Solid Lubricants)
- तरल स्नेहक (Liquid Lubricants)
द्रव्य की अवस्था में मिलने वाले स्नेहक को तरल स्नेहक कहते हैं। जैसे मोबिल ऑयल, स्मिंडल ऑयल आदि कुछ तरल स्नेहक पतले व कुछ गाढ़े होते हैं जो निम्नलिखित है-
- वनस्पति तेल (Vegetable Oils)
- जानवरों की चर्बी का तेल (Animal Fats & Oils)
- खनिज तेल (Mineral Oils)
- सिंधैटिक तेल (Synthetic Oil)
- वनस्पति तेल (Vegetable Oils) – यह तेल फल, सब्जियों, पेड़–पौधों तथा बीजों से निकाले जाते हैं। यह भी कई प्रकार के होते हैं–
(अ) सूखने वाले तेल (Deying Oils) (ब) ना सूखने वाले तेल (Non-Drying Oil)
- सूखने वाले तेल (Drying Oils) – ऐसे तेल को कम तापमान पर उड़ जाते हैं, चिकनाहट को खत्म करते हैं व नमी को खुश्क करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। जैसे तारपीन का तेल आदि।
- न सूखने वाले तेल (Non Drying Oils) – ऐसे तेल जिनमें चिकनाहट भी होती है और यह शीघ्र सूखते भी नहीं जैसे- सरसों का तेल, विनोले, सूरजमुखी, नारियल, जैतून व नीम का तेल आदि ये अच्छे स्नेहक है।
- जानवरों की चर्बी का तेल (Animal Fats Oils) – ये तेल पानी के जीव-जंतुओं व जानवरों के मांस व चर्ची से प्राप्त किए जाते हैं। जैसे – चर्बी का तेल (Lard Oils), टालो तेल (Tallow Oils), पटेल (Whale), सील (Seal) आदि। ये तेल हलकी च भारी मशीनों में प्रयोग किए जाते हैं।
- खनिज तेल (Mineral Oils) – यह तेल पृथ्वी से तरल खनिज के रूप में मिलते हैं तथा इन्हें शुद्ध करके कई भागों में बाँट देते हैं जैसे- मिट्टी का तेल, पेट्रोल को मोबिल oil, गियर ऑयल आदि। यह सस्ते होते हैं और अच्छा कार्य करते हैं, आजकल अधिकतर यही तेल प्रयोग किए जाते हैं।
- सिंधैटिक तेल (Synthetic Oil)– यह तेल है जो प्रकृति से प्राप्त नहीं होते अर्थात् रिफाइनरीज द्वारा नहीं तैयार किए जाते। फिर भी इन तेलों के गुण खनिज तेलों से मिलते हैं। यह प्राय: कोयले, रेत आदि से बनाए जाते हैं यह प्रायः निम्न कैमीकल, कंपाउंड का मिश्रण है: Synthetic astern Silicones, Organo-phosphate esters, Silicate esters, Poly sikylene glycols इत्यादि ।
यह उच्च रूप व गति के लिए अधिक प्रयोग किए जाते हैं जैसे हवाई जहाज के इंजनों में या जहाँ एक दम गरम से ठंडा या ठंडे से गरम होने का अंदेशा हो परंतु इनकी कीमत अधिक होती है।
- अर्द्ध ठोस स्नेहक (Semi-Solid Lubricants)
ये स्नेहक चिपचिपे होते हैं। इनका गाड़ापन तेलों की अपेक्षा अधिक होता है। इस श्रेणी में ग्रीस आती है मुख्यतः ग्रीस दो प्रकार की होती है–
(A) नरम ग्रीस (Soft Grease) (B) कठोर ग्रीस
(A) कोमल ग्रीस (Soft Grease)-
इसका प्रयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है जहाँ उच्च तापमान के कारण तरल स्नेहक ठहर नहीं पाते और प्रतिदिन स्नेहन करना कठिन होता है। ग्रीस को कप में भर दिया जाता है। जिससे वह चलती हुई मशीन के पार्ट्स में स्वयं पहुँच जाती है।
ग्रीस कृत्रिम तेल और पेट्रोलियम का मिश्रण है जिसमें कुछ अन्य पदार्थ मिलाकर अर्द्ध ठोस बना दिया जाता है। कोमल ग्रीस में 65% से 90% खनिज तेल व शेष अन्य पदार्थ होते हैं।
प्रयोग के अनुसार ग्रीस को निम्न तीन श्रेणियों में बाँटा गया है-
(1) सोडियम बेस ग्रीस (Sodium Base Grease)- इसका प्रयोग अधिक गति पर चलने वाली मशीनों के लिए किया जाता है।
(2) कैल्शियम बेस ग्रीस (Calcium Base Grease)- इसका प्रयोग कम गति पर चलने वाली मशीनों के लिए किया जाता है।
(3) एल्युमीनियम बेस ग्रीस (Aluminium Base Grease)- इस प्रकार की ग्रीस का प्रयोग एक–दूसरे पर स्लाइड करने वालो चपटी सतहों पर किया जाता है।
(B) कठोर ग्रीस (Hard Grease)-
इसका प्रयोग तेज धार वाले टूल्ज जैसे– मिलिंग कटर्स आदि को लंबे समय तक जंग से बचाने के लिए किया जाता है क्योंकि यह सामान्य तापक्रम पर नहीं पिघलती। यह कई प्रकार की होती हैं जैसे–टैलो (Tallow) पेट्रोलियम जैली आदि।
- ठोस स्नेहक (Solid Lubricants)
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कठोर स्नेहकों का प्रयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है जहाँ पर तरल अथवा अर्द्ध-स्नेहक दाब या तापमान के कारण ठहर नहीं पाते। ठोस स्नेहकों में सबसे अधिक ग्रेफाइट, मोम, बैंक्स, टैलक आदि अच्छे ठोस स्नेहक है जो स्वयं ही स्नेहक का कार्य करते हैं।
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