What are the main types of resistances? Their construction & working in detail.
रजिस्टर (Resistor)-
रजिस्टर एक स्थिर कीमत (Definite value) की स्थायी रजिस्टेंस (Fixed Resistance) है, जिसका प्रयोग विद्युत सर्किट में करंट को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। रजिस्टेंट का गुण करंट के रास्ते में रुकावट डालता है। यह पक्के तौर पर सर्किट में लगी रहती है। यह सर्किट का करंट ले जाने के योग्य व इस दौरान पैदा हुई गर्मी को सहन करने के योग्य होती है।
प्रतिरोधक कई प्रकार के होते हैं। इनके प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं-
प्रतिरोध को दो समूहों में विभाजित किया जा सकता है जिन्हें लीनियर प्रतिरोध (linear resistors) और गैर-लीनियर प्रतिरोध (Non linear resistors) कहा जाता है। लीनियर प्रतिरोध को भी उपसमूहों में विभाजित किया फिक्स्ड प्रतिरोध और वेरिएबल प्रतिरोध शामिल हैं।
लीनियर प्रतिरोध –
फिक्स्ड प्रतिरोध ( fixed resistors) – इन प्रकार के प्रतिरोध में, प्रतिरोध मान को बदला नहीं जा सकता है, यानी वे सर्किट में एक निश्चित मात्रा का प्रतिरोध प्रदान करते हैं। फिक्स्ड प्रतिरोध के विभिन्न प्रकार होते हैं जैसे कि “
वायर वाऊंड प्रतिरोध (Wire Wound Resistances)–
इलैक्ट्रिकल कार्यों में इस प्रकार के प्रतिरोधों का प्रयोग बहुत अधिक होता है। यह आमतौर पर नाइक्रोम, यूरीका, मैगानिन, कैंथल और टंगस्टन अर्द्ध-चालकों की तारों को वाइंड करके बनाए जाते हैं। स्प्रिंग टाइप प्रतिरोध का प्रयोग हीटरों, इलैक्ट्रिक प्रैस, गीजर, लैंप, विद्युतीय भट्टियों में एलीमैंट के रूप में किया जाता है। स्टार्टर की रीलों, मोटरों, जनरेटरों के रेगुलेटरों, पंखों के रैगुलेटरों व अन्य अनेक प्रकार के उपकरणों में ऐसे प्रतिरोधों का प्रयोग होता है।
ताप पैदा करने के लिए नाइक्रोम और प्रतिरोध बनाने के लिए यूरीका आदि मिश्रित धातुओं का प्रयोग किया जाता है। तार की लम्बाई एवं साइज (S.W.G. No.)आवश्यकतानुसार प्रयोग है। हाइ वाटेज (High wattage) के साथ अधिक करंट ले जाने की क्षमता (High current carrying capacity) और ऊंचा ग्लनांक (High melting point) इन प्रतिरोधों का एक गुण है। चीनी की मिट्टी पका कर या सिरामिक इंसुलेशन पर नाइक्रोम या यूरीका की तार लपेट कर भी ये प्रतिरोध बनाए जाते है। ये एक वॉट की क्षमता से लेकर 100 वॉट की क्षमता तक उपलब्ध हैं। इनका मान (Value)-0.1 ओम से 10 किलो ओहम तक होता है। तापमान का मान इन पर लगभग न के बराबर प्रभाव होता है, जिससे इन्हें अच्छे प्रतिरोधी माना जाता है। इनका मान एवं पावर इन पर लिखी जाती है।
छत के पंखे एवं टेबल फैन के रैगुलेटरों में इनका प्रयोग किया जाता है। वोल्ट-मीटरों, मैगरों व अन्य अनेक प्रकार के मीटरों में ऐसे प्रतिरोध प्रयोग में लाए जाते हैं। इलैक्ट्रानिक के अधिक करंट व अधिक क्षमता वाले सर्किटों में इनका प्रयोग सामान्य है।
कार्बन प्रतिरोध (Carbon Resistances)–
शुद्ध कार्बन में अलग-अलग तरह की व अलग-अलग मात्रा में अशुद्धियां मिला कर कार्बन प्रतिरोध बनाए जाते हैं। ये प्रतिरोधक एक ओहह्म से लेकर कई मैगा ओह्म तक के मान के बनाए जाते हैं। ये कम क्षमता ( 1 10 वाट से 3 वाट तक) के होते हैं। अधिक करंट निकलने से ये जल्दी गर्म हो जाते है और जल सकते हैं। गर्म होने पर इनका मान भी बदल जाता है। इस लिए ये प्रतिरोध कम करंट वाले सर्किटों में प्रयोग किए जाते हैं। इन प्रतिरोधों का मान इन पर रंग की पट्टियां बना कर दिखाया जाता है एवं इनमें से ही एक पट्टी यह बताती है कि तापमान या समय के प्रभावाधीन इनके मूल्य में कितना अंतर आ सकता है। ये प्रतिरोध भार में कम, आकार में छोटे व कीमत में सबसे सस्ते होते हैं। इंडीकेटरों, विद्युत मापक यंत्रों (Electrical measuring instrument), फेज़ टैस्टरों एवं इंडस्ट्रीयल इलैक्ट्रानिक्स के कार्यों में इन प्रतिरोधों का प्रयोग सामान्य रूप से होता है। जैसे- इलैक्ट्रानिक फैन रैगुलेटर, आटोमैटिक सर्किटों, CFL लैंपों के अडाप्टरों व इलैक्ट्रानिक्स पैनल बोर्डो में इनका प्रयोग होता है।
मैटल फिल्म प्रतिरोधक (Metal Film Resistances)–
ये आकार, मान तथा क्षमता में लगभग कार्बन रजिस्टेंस जैसे ही होते हैं। अन्तर केवल इतना है कि कार्बन के स्थान पर इनमें मैटल (धातु) की पतली परत लगाई जाती है। इसलिए ये प्रतिरोध कार्बन प्रतिरोधों से अधिक स्थिर व कीमती होते हैं। इनका प्रयोग भी इलैक्ट्रानिक के कार्यों में अधिक होता है।
वेरिएबल रजिस्टर (Variable Resistor )
इस प्रकार के रेसिस्टर में, प्रतिरोध का मान बदला जा सकता है। प्रतिरोध का मान एक घूमने वाले शाफ़्ट या वाइपर या एक रैखिक स्लाइडर को समायोजित करके बदला जा सकता है।
इन्हें रेडियो रिसीवर में वॉल्यूम नियंत्रण और ध्वनि नियंत्रण प्रतिरोध के लिए प्रयोग किया जाता है। पोटेंशिओमीटर, रियोस्टेट्स, और ट्रिमर्स जैसे कुछ प्रकार के वेरिएबल रेसिस्टर्स होते हैं।
पोटेंशियोमीटर्स (Potentiometers)
एक पोटेंशियोमीटर एक वेरिएबल रजिस्टर होता है जिसमें तीन टर्मिनल्स होते हैं और एक लगातार समायोजनीय टैपिंग पॉइंट होता है।
यह टैपिंग पॉइंट एक घूमते हुए शाफ्ट या एक रैखिक स्लाइडर द्वारा नियंत्रित किया जाता है। जब शाफ्ट घूमता है तो प्रतिरोध की मान बदलती है और वोल्टेज नियंत्रित होता है।
पोटेंशियोमीटर इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स में वोल्टेज विभाजक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इन्हें रेडियो, वेरिएबल पावर सप्लाई, और संगीतीय उपकरणों आदि में प्रयोग किया जाता है।
रियोस्टेट्स (Rheostats)
रियोस्टेट्स एक दो या तीन टर्मिनल वाली उपकरण हैं जो धारा नियंत्रित करने के लिए या मैनुअल ऑपरेशन के उद्देश्य से प्रयोग किया जाता है।
इन्हें वेरिएबल वायर वाउंड रेसिस्टर्स के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि रिओस्टेट बनाने के लिए, निक्रोम तार को एक सिरेमिक कोर के चारों ओर लपेटा जाता है और फिर एक संरक्षक परत में बंधा जाता है।
इन रेसिस्टर्स की उपलब्ध विद्युत शक्ति रेटिंग 3 से 200 वॉट होती है और प्रतिरोधी क्षमता श्रेणी 1 ओहम से 150 ओहम तक होती है।
गैर-लीनियर रजिस्टर (Non-linear resistors)
एल. डी. आर. (L.D.R.)– इस प्रतिरोध का नाम लाइट डिपेंडिंग रजिस्टेंस (Light Depending Resistance) है अर्थात् ऐसा प्रतिरोधक जिसका मान इस पर पड़ने वाली रोशनी पर निर्भर करता है। कम रोशनी में इसका मान अधिक व अधिक रोशनी में इसका मान कम होता है। इसकी क्षमता बहुत कम होती है। अंधेरे में इसका मान कुछ सौ किलो ओड्म होता है और पूरी रोशनी में यह कम होकर कुछ ओहम रह जाता है। इसका प्रयोग नाइट लैंपों व स्ट्रीट लाइटों के आटोमैटिक सर्किट बनाने में होता है।
वी. डी. आर. (V.D.R)– वी. डी. आर. का पूरा नाम वोल्टेज़ डिपेंडिंग रजिस्टेंस (Voltage Depending Resistance) है अर्थात इसका मान इसे मिलने वाली वोल्टेज़ पर निर्भर करता है। अधिक वोल्टेज़ में कम रजिस्टेंस व कम वोल्टेज़ पर यह अधिक रजिस्टेंस दर्शाता है। थर्मिस्टर व एल. डी. आर. की तरह यह भी बहुत कम क्षमता का होता है।
थर्मिस्टर (Thermister) – थर्म (Therm) शब्द गर्मी से सम्बन्ध रखने वाली वस्तुओं में प्रयोग होता है। इस प्रकार ये प्रतिरोध वे हैं जिनका मान तापमान पर निर्भर करता है। अधिक तापमान पर इनका मान कम हो जाता है, यह इन प्रतिरोधकों की सबसे बड़ी विशेषता है। इनका मान तथा क्षमता बहुत कम होती है। इनका प्रयोग इलैक्ट्रानिक्स के कार्यों में होता है।
इस रजिस्टर का प्रतिरोध तापमान के उल्टा प्रतिरूपी होता है यानी जब तापमान बढ़ता है तो प्रतिरोध की मान घटती है और जब तापमान कम होता है तो प्रतिरोध की मान घट जाती है।
इन प्रकार के रजिस्टर्स को कोबाल्ट, निकेल, स्ट्रॉण्टियम, और मैंगनीज का धातु ऑक्साइड से बनाया जाता है।